
मुक्तिबोध की कविताएँ अति सूक्ष्म होती थी. उन्होंने जीवन अनुभव , रहस्यवाद, मनोविज्ञान और यथार्थ पर कविताएँ रची हैं...
मुक्तिबोध को प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का सेतु कहा जाता है. उनकी कविताओं में सामाजिक रूढ़ियों, अपूर्ण व्यक्तित्व, अन्याय एवं शोषण के प्रति विद्रोह परिलक्षित होता है. यही एक प्रमुख कारण है कि आज भी मुक्तिबोध हिंदी के सबसे प्रासंगिक कवि है.
मुक्तिबोध का जन्म 13 नबम्बर, 1917 में म.प्र. के शिवपुरी में हुआ था । इनका पूरा नाम गजानन माधव मुक्तिबोध था. इनके पिता माधवराव पुलिस में थें. मुक्तिबोध ने स्नातक तक पढाई की थी. हालाकिं इनके जीवन का आर्थिक पक्ष संकटों भरा था.लेकिन उन्होंने कभी अपने जीवन से शिकायत नहीं की. उन्होंने इस तथ्य को अपनी कविता में कुछ इस तरह से ढाला है-
जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है
सहर्ष स्वीकारा है
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हें प्यारा है
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार-वैभव सब
दृढ़्ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है
इसलिए के पल-पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है–
संवेदन तुम्हारा है!
वर्ष 1953 में उन्होंने साहित्य सृजन प्रारम्भ किया। मुक्तिबोध तारसप्तक के पहले कवि भी थे। मनुष्य की अस्मिता, आत्मसंघर्ष और प्रखर राजनैतिक चेतना से समृद्ध उनकी कविता पहली बार ‘तार सप्तक’ में प्रकाशित हुई थी . किन्तु यह विडम्बना ही रही कि उनका कोई स्वतंत्र काव्य-संग्रह उनके जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हो सका था.
संभवतः मुक्तिबोध को कोई बेचैनी थी, कोई बात थी जो उन्हें हमेशा टीसती थी. उनके आर्थिक पक्ष के कमजोर होने का एक मुख्य कारण यह रहा कि वह धनोपार्जन के माधयम लगातार बदलते रहें. साल 1940 से 1958 तक उन्होंने कई छोटी-बड़ी नौकरियाँ की। कभी वे शिक्षक बने तो कभी पत्रकारिता और सम्पादन किया। आखिरकार, साल 1958 से दिग्विजय महाविद्यालय, राजनाँदगाँव में प्राध्यापक नियुक्त हुए. मुक्तिबोध ने स्वयं लिखा है कि -
“नौकरियाँ पकड़ता और छोड़ता रहा।
शिक्षक, पत्रकार, पुनः शिक्षक, सरकारी
और ग़ैर सरकारी नौकरियाँ।
निम्न-मध्यवर्गीय जीवन, बाल-बच्चे,
दवादारू, जन्म-मौत में उलझा रहा।
उन्होंने मुक्तक कविताएँ लिखी हैं । बिम्ब विधान और प्रतीक योजना मुक्तिबोध की प्रमुख शैलियाँ हैं । उनकी एक वचन की कविताओं में समास समाहित हैं । इन्होंने परम्परागत प्रतीकों को नये संदर्भ प्रदान किये जो सर्वथा नवीन किन्तु सार्थक भाव दर्शाते हैं .मुक्तिबोध की कविता (भाषा) में तत्सम् एवं तद्भव के रूप स्पष्ट हैं । लेकिन अंग्रेजी, फारसी, उर्दू शब्दों का भी प्रय