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शिक्षक दिवस पर जानें भारत के कुछ महान शिक्षकों के बारे में!!

एक अच्छा शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है

यह दूसरों के लिए रास्ता रोशन करने के लिए खुद का उपभोग करता है

- मुस्तफा कमाल अतातुर्की


किसी भी मनुष्य के जीवन में उसका शिक्षक सबसे प्रमुख भूमिका निभाता है और जीवन को सफल बनाने में भी एक महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। अब बात करते हैं की शिक्षक होता कोन है क्या सिर्फ वो जो हमे विद्यालयों या कॉलेजों में पढ़ता है तो इसका जवाब है नहीं  साथ साथ वो हर इंसान होता है जो हमे जीवन के मूल्यों को समझाता है जीवन जीने की कला सिखाता है। सही माईनो में कहा जाए तो एक शिक्षक हमारे जीवन को सही आकर प्रदान करता हैक्यूंकि कामयाबी की सीढियाँ चढ़ना एक शिक्षक ही सिखाता है ऐसे ही शिक्षकों  को समर्पित है आज का दिन जिसे शिक्षक दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष आज ही के दिन 5 सितम्बर को मनाता है। 

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में सम्मान पूर्वक मनाया जाता है।भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का मानना है कि ‘यदि समाज को प्रगति करना है तो शिक्षकों को दुनियाभर में हो रहे परिवर्तनों को समझना होगा, ताकि उनके प्रति नई पीढ़ी में जिज्ञासा पैदा कर सके।ये कोई पेशा या नौकरी नहीं बल्कि यह जीवन पद्धिति है’। एक शिक्षक कभी सेवानिवृत नहीं होता, वह हमेशा एक नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए प्रयासरत रहता है। बात करें भारत रत्न सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तो उन्होंने शिक्षक समाज को दिशा देने का काम किया।  उनका पूर्ण जीवन प्रेरणा देने वाला रहा है।  उनका मानना था कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है जहां हमें कुछ ना कुछ सीखने को लगातार मिलता है तथा शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। वह छात्रों को जीवन में सही और गलत को परखने का तरीका बताता है।आपको बता दें देशभर में शिक्षक दिवस मनाने की यह परंपरा 1962 में डॉ राधाकृष्णन  के राष्ट्रपति बनने के साथ शुरू हुई थी जब उनका जन्मदिन मनाने के लिए उनके छात्रों ने उनकी स्वीकृति मांगी। इस पर राधा कृष्णन जी ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने के बजाए इस दिन देशभर के शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस आयोजित करें, इससे मुझे गर्व होगा। राधाकृष्णन का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे।

उन्होंने फिलोसोफी में एम.ए किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी के असिस्‍टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, फिर कुछ साल बाद प्रोफेसर बने। आजादी के बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था के कार्यसमिति अध्यक्ष भी बनाए गए। तथा 1949-1952 तक वह रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे और 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बनाए गए।भारतीय यूनिवर्सिटीज के साथ साथ   कोलंबो एवं लंदन यूनिवर्सिटी ने भी अपनी मानक उपाधियों से सम्मानित किया है । 


एक शिक्षक जो सिखाने के साथ तालमेल स्थापित करता है, उनके साथ एक हो जाता है, जितना वह उन्हें सिखाता है उससे ज्यादा सीखता है। जो अपने शिष्यों से कुछ नहीं सीखता, वह मेरे विचार से बेकार है। जब भी मैं किसी से बात करता हूं तो उससे सीखता हूं। मैं उससे ज्यादा लेता हूं जितना मैं उसे देता हूं।

-महात्मा गांधी



हमारे देश भारत में ऐसे कई शिक्षक रहे हैं जिन्होंने अपने योगदान से इतिहास को बदलने का कार्य किया है , भारत को ऐसे शिक्षकों पर गर्व है इन्होने देश के विकास में एक महत्तत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं |


तो आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ महँ शिक्षको के बारे में


जे. कृष्णमूर्ति : जीवन का परिवर्तन सिर्फ इसी बोध में निहित है कि आप स्वतंत्र रूप से सोचते हैं कि नहीं और आप अपनी सोच पर ध्यान देते हैं कि नहीं।

प्रोफेसर और दार्शनिक कृष्णमूर्ति का जन्म 1895 में आंध्रप्रदेश के मदनापाली में मध्यवर्ग ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने सत्य के मित्र और प्रेमी की भूमिका निभायी लेकिन स्वयं को कभी भी गुरू के रूप में नहीं रखा । 

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