
जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो, मोहब्बत करने वाला जा रहा है - राहत इंदौरी
[Kavishala Labs]
जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो, मोहब्बत करने वाला जा रहा है
ये शेर मशहूर शायर राहत इंदौरी का हैं. राहत इंदौरी एक जिंदादिल शायर थे. समकालीन शायरों में राहत इंदौरी की अपनी एक अलग पहचान रही है. उनके अशरार सिर्फ उर्दू शायरी पसंद करने वाले लोगो के ही नहीं बल्कि आज के डिजिटल दौर की युवा पीढ़ी के जुबान पर भी बसे रहते हैं. आज 11 अगस्त 2020 को कार्डियक अरेस्ट होने से उनकी मौत हो गयी.
राहत साहब शब्दो का इस्तेमाल बड़ी ही खूबी से करते थे साथ ही उनका अंदाजे बयां भी आकर्षित करने वाला था. जिसने उन्हें लोगो के बीच लोकप्रिय बना दिया. अपने शेरो से वे सामाजिक मुद्दों पर कड़ा प्रहार करते थे. जब वो डूबकर अपने शेर पढ़ते थे तो हजारों लोगों का मजमा दीवाना-सा हो उठता था. उनके इसी अंदाज ने उन्हें उर्दू अदब की दुनिया में एक मशहूर शायर बना दिया था. वह केवल 19 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में अपनी पहली शायरी सुनाई थी.
यकीन ही नहीं होता राहत इंदौरी साहब अब हमारे बीच नहीं रहे. उनकी रुखसती पर निशान्त जैन (IAS अधिकारी एवं लेखक) कहतें है कि-
शहरों में तो बारूदों का मौसम है,
गाँव चलो, ये अमरूदों का मौसम है’
राहत इंदौरी साहब के ऐसे जाने कितने शेर और पंक्तियाँ युवा पीढ़ी की ज़ुबान पर हैं।
हर दिल अज़ीज़ राहत इंदौरी साहब कई पीढ़ियों के प्रिय शायर रहे हैं। मैंने और हमारी पीढ़ी ने उन्हें कवि सम्मेलनों और मुशायरों, टी.वी. और सोशल मीडिया पर देखा-सुना। उनकी शायरी और शायरी कहने का अन्दाज़ दोनों बहुत ख़ास थे। हिन्दी-उर्दू कविता में उनका नाम हमेशा अदब से लिया जाएगा।
- निशान्त जैन (IAS अधिकारी एवं लेखक)
राहत साहब जब मंच पर आते थे तो उनको सुनने वाले उनके शेरो और उनके अंदाज पर इस कदर खो जाते थे की उन्हें कुछ खबर ही नहीं रहती थी. राहत इंदौरी साहब के साथ कई बार मंच साझा कर चुके कवि व IAS अधिकारी हरिओम कहते हैं कि -
अलविदा राहत साहब।शायरी की यह नाज़ुक दुनिया आपके ब-कमाल शेरों से हमेशा आबाद रहेगी।दुनिया के मंचों पर भले आपका दिलरुबा अन्दाज़-ए-बयाँ दोबारा न दिखे।राहत साहब के साथ कई दफ़ा मुशायरों में मंच साझा करने का शरफ़ हासिल हुआ।अपना यह शेर उनकी यादों को देना चाहूँगा—
आँखों में समाए हुए मंज़र की तरह हूँ
मैं बूँद हूँ आँसू की, समंदर की तरह हूँ
—हरिओम
राहत साहब ने न सिर्फ इश्क़ और मुहब्बत भरी शायरी लिखी बल्कि उन्होंने बेबाक होकर राजनीति के गिरते स्तर, सरकारी तंत्र की उदासीनता और सामाजिक बुराइयों पर भी तंज कसे है. लेखक व विधायक दिलीप पांडेय उनको याद करते हुए कहते हैं कि -
राहत इंदौरी साब, आप राहत थे. झूठ, मक्कारी, चापलूसी के धुएं में दम घोंटने वाली दुनियाँ में, आप राहत की सांस थे. अब गर साँसे उलझीं, तो लोग किसे सुनेंगे, आप आवाज़ थे आम हिंदुस्तानी की, अब कैसे सहमा हिंदुस्तानी अपनी आवाज़ बुलंद करेगा. दिल से शुक्रिया, जो गढ़ा, उसके ज़रिए आप साथ हैं! - दिलीप पांडेय (लेखक व विधायक)