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बानू मुश्ताक: गांव से बुकर पुरस्कार तक की प्रेरणादायक कहानी

"एक कहानी, जो गांव के बरगद के नीचे शुरू हुई... और बुकर पुरस्कार तक पहुँची।"

यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि कर्नाटक की लेखिका बानू मुश्ताक की सच्ची कहानी है – जिन्होंने साहित्य के ज़रिए समाज की चुप्पियों को आवाज़ दी, और आज अंतरराष्ट्रीय पहचान बना ली है।

बानू मुश्ताक कौन हैं?

बानू मुश्ताक का जन्म 1948 में हसन, कर्नाटक में हुआ था।

वो एक लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनकी लेखनी में एक खास बात है – वो उन आवाज़ों को सामने लाती हैं, जिन्हें समाज ने अक्सर दबा दिया।

उन्होंने लिखना शुरू किया 29 साल की उम्र में, जब वो पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर रही थीं। लेखन उनके लिए खुद को बचाने का जरिया बना, और धीरे-धीरे उन्होंने वो लिखा जो समाज अक्सर नजरअंदाज़ करता रहा।

उनकी लेखनी की खासियत

बानू मुश्ताक की कहानियाँ होती हैं –

  1. सच्ची, संवेदनशील और साहसी
  2. वो बात करती हैं स्त्री-विमर्श, जातिवाद, धार्मिक पाखंड, और पितृसत्ता की
  3. उनकी कहानियों में दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं की ज़िंदगी की गहराई दिखती है

वो 'बंडाया साहित्य आंदोलन' से भी जुड़ी रही हैं, जो अन्याय के खिलाफ साहित्य को हथियार बनाकर लड़ता है।

विरोध और बहिष्कार भी झेला

जब उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर लिखा, तो साल 2000 में समाज द्वारा उनका बहिष्कार किया गया।

लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

वो लिखती रहीं – और हर बार पहले से ज्यादा दमदार तरीके से।

बुकर पुरस्कार: ऐतिहासिक जीत

मई 2025 में बानू मुश्ताक ने इतिहास रच दिया।

उनकी कहानी संग्रह ‘Heart Lamp’ को मिला इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार

  1. यह पहला मौका था जब किसी कन्नड़ भाषा की किताब ने यह सम्मान जीता
  2. और वो भी एक शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है

इस किताब का अनुवाद अंग्रेज़ी में दीपा भास्‍ती ने किया, जो खुद एक लेखिका और अनुवादक हैं।

‘Heart Lamp’ – एक किताब, कई कहानियाँ

‘Heart Lamp’ में शामिल हैं 12 कहानियाँ, जो लिखी गईं 1990 से 2023 के बीच।

ये कहानियाँ उन मुस्लिम महिलाओं की हैं –

जो चुप थीं, लेकिन अंदर से मजबूत थीं।

जो टूटी थीं, लेकिन झुकी नहीं थीं।

कहानी के विषयों में है –

  1. प्यार और हताशा
  2. धर्म और परंपराएं
  3. जेंडर और पहचान की खोज

यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक दीया है जो अंधेरे में रोशनी करता है

बानू मुश्ताक हमें यह सिखाती हैं कि एक महिला की आवाज़, चाहे वह कितनी भी दबाई जाए, अगर वह सच्ची है – तो वह एक दिन दुनिया को बदल सकती है।

उनकी जीत

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