पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम सआदत हसन मंटो का ख़त | नेहरू हीरो या खलनायक?'s image
522K

पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम सआदत हसन मंटो का ख़त | नेहरू हीरो या खलनायक?

"अश्‍लील लेखन के आरोप में मुझ पर कई मुकदमे चल चुके हैं मगर यह कितनी बड़ी ज़्यादती है कि दिल्‍ली में, आपकी नाक के ऐन नीचे वहाँ का एक पब्लिशर मेरी कहानियों का संग्रह प्रकाशित करता है। मैंने किताब लिखी है। इसकी भूमिका यही ख़त है जो मैंने आपके नाम लिखा है... अगर यह किताब भी आपके यहाँ नाजायज तौर पर छप गई तो ख़ुदा की कसम मैं किसी न किसी तरह दिल्‍ली पहुँच कर... फिर छोड़ूँगा नहीं आपको..."

- सआदत हसन मंटो


नेहरू के नाम मंटो का ख़त


पंडित जी,


अस्सलाम अलैकुम!


यह मेरा पहला ख़त है, जो मैं आपको भेज रहा हूँ। आप माशा अल्लाह अमेरिकनों में बड़े हसीन माने जाते हैं। लेकिन मैं समझता हूँ कि मेरे नाक-नक्श भी कुछ ऐसे बुरे नहीं हैं। अगर मैं अमेरिका जाऊँ तो शायद मुझे हुस्न का रुतबा अता हो जाए। लेकिन आप भारत के प्रधानमंत्री हैं और मैं पाकिस्तान का महान कथाकार। इन दोनों में बड़ा अंतर है। बहरहाल हम दोनों में एक चीज़ साझा है कि आप कश्मीरी हैं और मैं भी। आप नेहरू हैं, मैं मंटो... कश्मीरी होने का दूसरा मतलब खू़बसूरती और खू़बसूरती का मतलब, जो अभी तक मैंने नहीं देखा!

मुद्दत से मेरी इच्छा थी कि मैं आपसे मिलूँ (शायद बशर्ते ज़िंदगी मुलाक़ात हो भी जाए)। मेरे बुजुर्ग तो आपके बुजुर्गों से अक्सर मिलते-जुलते रहे हैं लेकिन यहाँ कोई ऐसी सूरत न निकली कि आपसे मुलाक़ात हो सके।

यह कैसी ट्रेजडी है कि मैंने आपको देखा तक नहीं। आवाज़ रेडियो पर अल‍बत्ता ज़रूर सुनी है, वह भी एक बार!

जैसा कि मैं कह चुका हूँ कि मुद्दत से मेरी इच्छा थी कि आपसे मिलूँ, इसलिए कि आपसे मेरा कश्मीरी का रिश्ता है, लेकिन अब सोचता हूँ इसकी ज़रूरत ही क्या है? कश्मीरी किसी न किसी रास्ते से, किसी न किसी चौराहे पर दूसरे कश्मीरी से मिल ही जाता है!

आप किसी नहर के क़रीब आबाद हुए और नेहरू हो गये और मैं अब तक सोचता हूँ कि मंटो कैसे हो गया? आपने तो खै़र लाखों बार कश्मीर देखा होगा। मुझे सिर्फ़ बानिहाल तक जाना नसीब हुआ है। मेरे कश्मीरी दोस्त जो कश्मीरी ज़बान जानते हैं, मुझे बताते हैं कि मंटो का मतलब 'मंट' है यानी डेढ़ सेर का बट्टा। आप यक़ीनन कश्मीरी ज़बान जानते होंगे। इसका जवाब लिखने की अगर आप ज़हमत फ़रमाएँगे तो मुझे ज़रूर लिखिए कि 'मंटो' नामकरण की वज़ह क्या है?

अगर मैं सिर्फ़ डेढ़ सेर हूँ तो मेरा आपका मुका़बला नहीं। आप पूरी नहर हैं और मैं सिर्फ़ डेढ़ सेर। आपसे मैं कैसे टक्कर ले सकता हूँ? लेकिन हम दोनों ऐसी बंदूकें हैं, जो कश्मीरियों के बारे में प्रचलित कहावत के अनुसार 'धूप में ठस करती हैं...।'


मुआफ़ कीजिएगा, आप इसका बुरा न मानिएगा। मैंने भी यह फ़र्ज़ी कहावत सुनी तो कश्मीरी होने की वज़ह से मेरा तन-बदन जल गया। चूँकि यह दिलचस्प है, इसलिए मैंने इसका ज़िक्र तफ़रीह के लिए कर दिया है। हालाँकि मैं आप दोनों अच्‍छी तरह जानते हैं कि हम कश्‍मीरी किसी मैदान में आज तक नहीं हारे।

राजनीति में आपका नाम मैं बड़े गर्व के साथ ले सकता हूँ, क्‍योंकि बात कह कर फ़ौरन खंडन करना आप ख़ूब जानते हैं। पहलवानी में हम कश्‍मीरियों को आज तक किसने हराया है, शाइरी में हमसे कौन बाज़ी ले सका है। लेकिन मुझे यह सुनकर हैरत हुई है कि आप हमारा दरिया बंद कर रहे हैं। लेकिन पंडित जी, आप तो सिर्फ़ नेहरू हैं। अफ़सोस कि मैं डेढ़ सेर का बट्टा हूँ। अगर मैं तीस-चालीस हज़ार मन का पत्‍थर होता तो ख़ुद को इस दरिया में लुढ़ा देता कि आप कुछ देर के लिए इसको निकालने के लिए अपने इंजीनियरों से मशविरा करते रहते!

पंडित जी, इसमें कोई शक नहीं कि आप बहुत बड़े आदमी हैं, आप भारत के प्रधान मंत्री हैं। उस पर मुल्‍क़, जिससे हमारा संबंध रहा है, आपकी हुक्‍़मरानी है। आप सब कुछ हैं लेकिन गुस्‍ताख़ी मुआफ़ कि आपने इस खाकसार (जो कशमीरी है) की किसी बात की परवाह नहीं की।

देखिए, मैं आपसे एक दिलचस्‍प बात का जिक्र करता हूँ। मेरे वालिद साहब (स्‍वर्गीय), जो ज़ाहिर है कि कश्‍मीरी थे, जब किसी हातो को देखते तो घर ले आते, ड्योढ़ी में बिठाकर उसे नमकीन चाय पिलाते साथ कुलचा भी होता। इसके बाद वे बड़े गर्व से उस हातो से कहते, ‘मैं भी काशर हूँ।’

पंडित जी, आप काशर हैं... खु़दा की कसम अगर आप मेरी जान लेना चाहें तो हर वक़्त हाज़िर हैं। मैं जानता हूँ बल्कि समझता हूँ कि आप सिर्फ़ इसलिए कश्‍मीर के साथ चिमटे हुए हैं कि आपको कश्‍मीरी होने के कारण कश्‍मीर से चुंबकीय किस्‍म का प्यार है। यह हर कश्‍मीरी को, चाहे उसने कश्‍मीर कभी देखा भी हो या न देखा हो, होना चाहिए। 

जैसा कि मैं इस ख़त में पहले

Tag: Manto और1 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!