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हिन्दी साहित्य में अविस्मरणीय योगदान के लिए हरिवंश राय बच्चन को 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया

हिंदी साहित्य में हरिवंश राय बच्चन का विशेष स्थान है. उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में शामिल 'मधुशाला' ने हरिवंश राय बच्चन को न केवल हिन्दी साहित्य में अमर किया बल्कि पूरे विश्व में विशेष प्रसिद्धि दिलवाई. उन्होंने 'मधुशाला', 'मधुबाला', 'मधुकलश', 'दो चट्टानें', अपनी आत्मकथाएं- 'क्या भूलूं , क्या याद करूं', 'नीड़ का निर्माण फिर', 'बसेरे से दूर', 'दशद्वार से सोपान' जैसी 50 से अधिक रचनाएं की. आइये जानते हैं हरिवंश राय बच्चन जी के जीवन से जुडी विशेष बातें.

हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003 हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे. बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावत काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं. उनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 में सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हुई थी.

ऐसे बने "बच्चन" - बचपन में लोग उनको बच्चन कहते थे, जिसे बाद में वे अपने नाम के बाद में श्रीवास्तव की जग​ह लिखने लगे. वह हिन्दी में बच्चन नाम से ही रचनाएं लिखते थे. बच्चन का अर्थ होता है बच्चा. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया था. बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी के कवि डब्लयू बी यीट्स की कविताओं पर शोध किया कर अपनी पीएचडी पूरी की. हरिवंश राय बच्चन भाषा के धनी व्यक्ति थे. अंग्रेजी के प्राध्यापक होने के साथ ही हिन्दी, उर्दू, अरबी और अवधी भाषा का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था. उन्होंने कई वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया. साथ ही वे इलाहाबाद आकाशवाणी में भी काम करते रहे.


बच्चन जी की कविताओं का उपयोग हिन्दी फिल्मो में भी किया गया. उनकी कविता अग्निपथ को 1990 में आई फिल्म अग्निपथ में में प्रयोग किया गया, जिसमें उनके बड़े बेटे अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे. बच्चन जी की ​कविता संग्रह दो चट्टानें 1965 में प्रकाशि

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