कविशाला संवाद 2021: अभिव्यक्ति की आज़ादी और हिंदी-गौरव त्रिपाठी's image
272K

कविशाला संवाद 2021: अभिव्यक्ति की आज़ादी और हिंदी-गौरव त्रिपाठी



गालिब है हवालात में, प्रेमचंद के साथ में

मुंह में कपड़ा ठूसा हुआ है, हथकड़ियां हैं हाथ में।

शायर-लेखक जब बिकने लगे, सब छोड़ कसीदे लिखने लगे,

ये दोनों बेहूदा हुए, बाकी लोगों से जुदा हुए।

-गौरव त्रिपाठी। 


कविशाला संवाद का हिस्सा बने जाने-माने कवि गौरव त्रिपाठी जो मुख्य रूप से युवाओं के बिच बहुत प्रसिद्ध हैं । कविशाला द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अभिव्यक्ति की आज़ादी और हिंदी के विषय पर गौरव त्रिपाठी जी के साथ चर्चा हुई। 


कविताएं माध्यम हैं अभिव्यक्ति की आज़ादी का इसको आप कितना सही मानते हैं ?


गौरव त्रिपाठी :मैं मानता हूँ कविताएं केवल अभिव्यक्ति में नहीं बल्कि हमे हमारी भावनाओं को समझने का जो प्रयास है उसमे मदद करती हैं। हम जब कोई कविता पढ़ते हैं तो हमे वो कविता केवल इसलिए नहीं पसंद आती क्यूंकि वो भावनात्मक होती है बल्कि इसलिए पसंद आती हैं क्यूंकि हमारे अंदर कई ऐसी भावनाएं होती हैं जिनको सामने लाने और समझने में मदद करती हैं साथ ही एक बेहतर समझ बनाने में ये कविताएं मदद करती हैं। 


एक लेखक के रूप में आका जनन कैसे हुआ ,आपको कब लगा कि 

Read More! Earn More! Learn More!