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कविशाला संवाद 2021 : हिंदी कवी और लेखक-नीलोत्पल मृणाल!

उर्दू प्यार की भाषा है 

अंग्रेजी व्यापार की भाषा है 

हिंदी व्यवहार की भाषा है!

-नीलोत्पल मृणाल 


अपने अनुभवों को लिखना कितना सहज है या कितना कठिन मुख्य रूप से अगर बात की जाए लेखक की जो शब्दों के जोर तोर से अपनी भावनाओ को लिख कर एक साधे पन्ने पर उतार देता है ,जो कभी-कबार इतिहास बन जाती हैं ,और लेखक ख्याति प्राप्त कर लेता है। एक ऐसा ही लेखक जिन्होंने अपनी पहली ही पुस्तक से साहित्य अकादमी पुरस्कार जैसी बड़ी उपलब्धि को प्राप्ति कर लिया ,हम बात कर रहे हैं युवा लेखक नीलोत्पल मृणाल की जिन्होंने अपने अनुभवों को पन्नों पर समेटा और सफलता के शिखर को प्राप्त किया। उनकी पहली पुस्तक डार्क होर्से जो की २०१६ में प्रकाशित हुई upsc की तैयारी कर रहे युवाओं पर आधारित इस पुस्तक ने २०१६ में साहित्य अकादमी पुरूस्कार जीता था। 


कविशाला द्वारा आयोजित कविशाला संवाद में “हिंदी कवि और लेखक ” पर चर्चा में शामिल हुए नीलोत्पल मृणाल जी जिन्होंने कई गंभीर मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और साथ ही हिंदी के महत्त्व और भविष्य पर अपनी बात रखी। एक युवा लेखक के तोर पर हिंदी साहित्य के प्रधानता के बारे में बताया। 


अपनी पहली ही कृति से साहित्य जगत में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार प्राप्त कर लेना अपने आप में बहुत बड़ी बात है जो बार-बार देखन को नहीं मिलती।सर हमारे दर्शकों को बताएं आपका लेखनी के प्रति झुकाव या रुझान कैसे आया?आपने इसकी शुरुआत कैसे की बचपन से ही लिखना शुरू कर दिया या बाद में लगा कि हाँ मैं लिख सकता हूँ?


नीलोत्पल मृणाल : मैंने बचपन में कभी नहीं लिखा क्यूंकि मेरा मानना है जो बचपन लिखने लगता है वो बचपन फिर बचपन नहीं रह पाता ख़राब हो जाता है,जिसने सही मायनों में अपना बचपन जिया ही नहीं मुझे नहीं लगता कि वो आगे चल कर लिख पायेगा क्यूंकि दुनिया की कहानी को लिखने के लिए जरुरी है उसकी खुद की कहानी का होना। हांलाकि बचपन में मैं कॉमिक्स पढता था उस वक़्त की पत्रिकाओं को पढता था पर इसके अलावा बात करू अगर लिखने की तो शायद बचपन में मैंने कभी एक कविता भी नहीं लिखी होगी। फिर बाद में मैं दिल्ली आया जहाँ से upsc की तैयारी करनी शुरू की वहीं से पढ़ने-लिखने को लेकर एक गंभीरता आई ,कई विषयों को पढ़ना-लिखना शुरू किया ,तमाम विषयों पर लिखना शुरू किया जिससे अभ्यास बना और वही से सिखने की प्रक्रिया अभी तक चालू है।


सर ,upsc और साहित्य दोनों के रास्ते कहीं न कहीं अलग हैं क्या आपको लगता है कि अगर आपने अपनी upsc की उसी तैयारी को जारी राखी होती तो आपकी यात्रा अलग होती ?


नीलोत्पल मृणाल :मैं मानता हूँ लिखने के लिए जरुरी है पढ़ना जो इन्सान पढ़ेगा लिखेगा ही नहीं वो क्या लिखेगा। मैं बात करू अपनी तो मेरे लिए upsc की तैयारी करना सहायक रहा मेरी लेखनी के लिए क्यूंकि upsc का पाठ्यक्रम एक अनुशसान बनाता है ,मैंने upsc की तैयारी करना शुरू किया जिसके लिए मैंने गंभीरता से पढ़ना शुरू किया और वही से लिखत

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