
[Stories and Poetry from the Room of IAS Officers]
तेलंगाना के करीमनगर की मूल निवासी चंद्रकला वर्ष 2007 की सिविल सेवा परीक्षा में बैठीं थीं. उनको सिविल सेवा परीक्षा में 409 वीं रैंक मिली थी. बात 2014 की है. जब 2008 काडर की आईएएस बी चंद्रकला बुलंदशहर में डीएम थीं. उस दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया पर मानो तूफान की तरह वायरल हुआ था, जिसने चंद्रकला को सोशल मीडिया की सनसनी बना दिया. इस वीडियो के बाद उनकी ख्याति ईमानदार आईएएस अफसर के रूप में बनी. दरअसल, उस वीडियो में वह ईंट से ईंट तोड़कर सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता का भंडाफोड़ कर रहीं थीं. इस दौरान ठेकेदार और इंजीनियर को सरेआम फटकार लगा रहीं थीं. बार-बार कर रहीं थीं कि भ्रष्टाचार करते... शर्म नहीं आती... बी चंद्रकला ने नगरपालिका के विकास कार्यों की जांच के दौरान पाया था कि घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. इसके बाद उन्होंने ऐसे तेवर में मातहतों को फटकार लगाई कि उसका वीडियो वायरल हो गया था. लोगों ने 'डीएम हो तो ऐसा'-कहकर खूब यह वीडियो शेयर किया था. इसके बाद चंद्रकला के सोशल मीडिया फॉलोवर्स की तादाद बढ़ती गई. मेरठ में डीएम रहने के बाद मार्च 2017 से प्रतिनियुक्ति पर वह दिल्ली पहुंचीं और केंद्र सरकार में इस वक्त कार्यरत हैं. अभी चंद्रकला लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ है
उनका जन्म 27 सितंबर 1979 में हुआ, 2008 बैच से एक भारतीय सिविल सेवक और उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। वह अपने मातहतों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती हैं, ज्यादातर उनके व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो के कारण, जिसमें वे औचक निरीक्षण करती थीं, निर्माण सामग्री या खराब स्वच्छता में गुणवत्ता की कमी को लेकर सिविक अधिकारियों को खींचती थी।
आइये पढ़ते है उनकी कुछ कविताएं:
आ सोलह श्रृंगार करूं, मैं,
आ मैं तुमको, प्यार करूं, मैं।।
घर से निकल कर, सीधी सड़क पर,
चौवाड़े से दायीं, मुड जाना,
वह जो गंगा तट है, देखो,
ऊपर एक मंदिर है, पुराना।।
उसके पीछे पीपल का वृक्ष,
जाने मन तुम, वहीं आ जाना,
आना तुम छिप-छिप कर आना,
आना, नजरें चार करेंगे,
मधुवन का श्रृंगार बनेंगे।।
जेट की रात है, बड़ी ही सुहानी,
माहताब है, देख दिवानी,
रातरानी, चम्पा, चमेली,
फूल, तुम लाना संग में सहेली।।
रजनीगंधा को भी ले आना,
दोस्त है ये अपना, बड़ा ही पुराना,
आना, जरा जल्दी आ जाना।।
चंदा की बे-सब्री देखो,
उग आयी है, रात की रानी,
नदियों की धारा तुम, देखो,
देखो इसका, कल-कल पानी।।
कोयल की स्वर, देखो, हे प्रिये!
उर्वशी भी है, तेरी दिवानी,
कुमकुम के रंगों से सज गयी,
गौधूली की प्रीत पुरानी ।।