धरती 'माँ''s image

और एक सुबह मैं उठूंगा

मैं उठूंगा पृथ्वी-समेत

जल और कच्छप-समेत

मैं उठूंगा ।

मैं उठूंगा और चल दूंगा

उससे मिलने

जिससे वादा है

कि मिलूंगा ।

[केदारनाथ सिंह]


पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है। यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है।जब बार से चुनगी आते थे संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को प्रत्येक वर्ष मार्च विषुव (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह अक्सर 20 मार्च होता है, यह एक परम्परा है जिसकी स्थापना शान्ति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल के द्वारा की गयी। यह पृथ्वी का बड़ा ही मनाया जाने वाला दिवस है।

"पर्यावरण संकट" की बढती चिन्ता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है, जो छात्रों को वियतनाम में युद्ध में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रही है। पर्यावरण की समस्या के प्रेक्षण का एक राष्ट्रीय दिन, जो वियतनाम में सामूहिक प्रदर्शन के समान है, अगले वसन्त के लिए इसकी योजना बनायी जा रही है, जब सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के कार्यालय से समन्वित राष्ट्रव्यापी पर्यावरणी 'शिक्षण' का आयोजन किया जायेगा. (ग्लेडविन हिल, 30 नवम्बर 1969 को न्यूयार्क टाइम्स में)


आइये पढ़ते है, कवि और लेखक क्या लिखते है और किस नजरिये से देखते है पृथ्वी दिवस को


कुछ पंक्तियाँ जो हमेश इंटरनेट पर पर्यावरण की बात करती हैं:

धरती माँ कितना कुछ देती है,

सब जीवों का दुःख हर लेती है.

_____

बढ़ती प्रदूषण से धरती माँ बेजान हैं,

उनके उपकार का ये कैसा एहसान हैं.

_____

सिर झुकाने की कला भी

क्या कमाल होती है?

धरती पर सिर रखते हैं और

मुकम्मल दुआ आसमान में होती है.

_____

कुछ पेड़ हम भी लगा दे,

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