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क्या सच में यह कविता मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और मामा शिवराज सिंह चौहान ने चुराई है?

पिता और पुत्री का रिश्ता दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता होता है। यह ऐसा रिश्ता है, जिसमें कोई शर्त नहीं होती, यह बिल्कुल निस्वार्थ होता है। पुत्री, पिता के सबसे करीब और पिता का अभिमान भी होती है। एक बेटी को सबसे ज्यादा प्यार और गर्व अपने पिता पर होता है। बाबू जी बहुत सरल, सहज और विनम्र थे। मैंने इतने वर्षों में उनके चेहरे पर कभी गुस्सा नहीं देखा। आज बाबू जी प्रत्यक्ष भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे सदैव हमारे प्रेरणा के स्रोत रहेंगे। वे साधना और शिव की शक्ति रहेंगे और उनका आशीर्वाद और स्नेह सदैव परिवार पर बना रहेगा। मेरी धर्मपत्नी ने स्व. बाबू जी के पुण्य स्मरण और जीवटता को कुछ पंक्तियों में पिरोया है - (~ शिवराज सिंह चौहान)


जिसके कंधे पर बैठकर घूमा करती थी, उसे कंधा देकर आयी हूँ।

उसके माथे को चूमकर, ज़िंदगी की नसीहतें लेकर आयी हूँ।


उसने सिखाया ही नहीं सर को झुकाना और शरमाना मुझे

तो जो सिखाया था, बस उसे जीकर आयी हूँ।


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