
“ मेरी दिलचस्पी सत्ता पर कब्जा करने में नहीं है,
बल्कि लोगों द्वारा सत्ता के नियंत्रण में है। “
- जयप्रकाश नारायण
स्वतंत्रता संग्राम में हमें बहुत से नेता मिले, जिनके प्रयासों के कारण ही यह देश आज आजाद है। उन्हीं में से एक राजनैतिक नेता थे - ‘ जयप्रकाश नारायण ‘। जिन्हें हम लोकनायक भी कहते हैं। आज उनके जन्मदिवस पर, उनके द्वारा किए गए एक ऐसे आंदोलन को याद करते हैं जिसको शामिल होते हुए उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया वह था “सर्वोदय आंदोलन”।
सर्वोदय दर्शन – जयप्रकाश नारायण के विचार
“सर्वोदय का अर्थ है, सभी का कल्याण।“ यह वह आंदोलन है, जिसका लक्ष्य ग्रामीण पूर्ण निर्माण, शांतिपूर्ण और सहकारी माध्यमों से ग्रामीण भारत के लोगों को ऊपर उठाना है।
जयप्रकाश नारायण की पहचान एक ऐसे राजनेता व राजनीतिक चिंतन के रूप में की जाती है, जिन्होंने सर्वोदय के विचारों का प्रबल समर्थक किया है। इस संबंध में उनका कहना था, कि समाज के प्रत्येक समूह के उत्थान के बिना विकास की बात नहीं की जा सकती।
उन्होंने समाजवाद को सर्वोदय के रूप में बदलने की बात कही। उनका कहना था कि समाजवाद के प्रमुख लक्ष्य स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को हासिल करने के लिए सर्वोदय के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है। इसके बिना समाजवादी लोकतंत्र का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
गांधी जी व उनके प्रिय शिष्य आचार्य विनोबा भाव