मैं पूछती हूँ, हम प्रेम में हैं या पोलिटिक्स में? [इश्क़ में शहर होना]'s image
127K

मैं पूछती हूँ, हम प्रेम में हैं या पोलिटिक्स में? [इश्क़ में शहर होना]

देश के वर्तमान दौर की सबसे विचारोत्तेजक किताब है यह— इश्क़ में शहर होना! रवीश कुमार हमेशा सच के साथ रहे। पत्रकार होने की नैतिकता से कोई समझौता नहीं किया, चाहे सत्ता में कोई रहा हो। यही वजह है कि उनके शब्द भरोसा पैदा करते हैं। वंचित समाज की आवाज़ बन चुके रवीश की इस किताब से कुछ रोचक किस्से और कथन:


बेचैन होती साँसें जातिविहीन समाज बनाने की अंबेडकर की बातों से गुज़रने लगीं—देखना यही किताब हमें हमेशा के लिए मिला देगी!

-------

‪“दिल्ली से पटना लौटते वक़्त उसके हाथों में बर्नार्ड शॉ देखकर वहाँ से कट लिया। लगा कि इंग्लिश झाड़ेगी।

दूसरी बोगियों में घूम-घूमकर प्रेमचंद पढ़नेवाली ढूँढ़ने लगा...‬ '‪

...लफुआ लोगों का लैंग्वेज प्रॉब्लम अलग होता है!”‬

-------

"दिल्ली में मेट्रो की कहानी ठीक से कही नहीं गई है।

भीतर ही भीतर ये शहर की जान है।

बड़ी तादाद में लोग इसे जीने लगे हैं।"

-------

"मैं पूछती हूँ, हम प्रेम में हैं या पोलिटिक्स में?

कहीं नहीं हैं हम।

तो?"

-------

“पता है तुम दिनभर में बीस प्रतिशत ख़ुश रहती हो और बारह प्रतिशत उदास।

दस प्रतिशत तुम्हारा मूड नन आफ़ दि अब

Tag: ravishkumar और1 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!