एक ऐसे कवी जिनके दोहे मुगलो के ज़मान से हर जगह प्रचिलित है, जिनकी जीवनी को जानना आज भी 10वी और 12वि कक्षा में महत्वपूर्ण है. क्योकि बोर्ड की परीक्षा में हिन्दी के विषय में इनके जीवन परिचय आने की सम्भावना सबसे अधिक होती है। यहाँ हम बात कर रहे है है रहीम दास की जो एक कवि थे और मुगल सम्राट अकबर के शासन के दौरान भारत में रहते थे। रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना था। इनका जन्म सन् 1556 ई० में लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था।
इनके पिता बैरम खाँ मुगल सम्राट अकबर के संरक्षक थे किन्हीं कारणोंवश अकबर बैरम खाँ से रुष्ट हो गया था और उसने बैरम खाँ पर विद्रोह का आरोप लगाकर हज करने के लिए मक्का भेज दिया। मार्ग में उसके शत्रु मुबारक खाँ ने उसकी हत्या कर दी। पिता बैरम खाँ अपने युग के एक अच्छे नीतिज्ञ एवं विद्वान् थे, अतः बाल्यकाल से ही रहीम को साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न हो गया था। योग्य गुरुओं के सम्पर्क में रह कर इनमें अनेक काव्य-गुणों का विकास हुआ। इन्होंने कई ग्रन्थों का अनुवाद किया तथा ब्रज, अवधी एवं खड़ीबोली में कविताएँ भी लिखीं।
इनके 'नीति के दोहे' तो सर्वसाधारण की जिह्वा पर रहते हैं। दैनिक-जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टान्तों के माध्यम से इनका कथन सीधे हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति एवं श्रृंगार की भी सुन्दर व्यंजना दिखायी देती