नव भारत, फिर चीर युगों का तमस आवरण | पंत's image
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नव भारत, फिर चीर युगों का तमस आवरण | पंत


बात उस समय की है जब छायावादी कवियों का दौर चल रहा था। छायावाद हिंदी साहित्य में romantic उत्थान की वो काव्य धारा है जिसने हिंदी में खड़ी बोली कविता को पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित किया। 

इसी दौर ने एक ऐसे कवि को उभारा जिसकी कविताएं आप सब ने अपने जीवनकाल में कभी ना कभी तो ज़रूर सुनी होंगी। सुमित्रानंदन पंत। 

रवींद्रनाथ टैगोर और पश्चिमी साहित्य के romantics से प्रभावित होकर पंत ने अपनी कविताएं लिखने की शुरुआत की थी। 

कौसानी बागेश्वर में जन्मे सुमित्रानंदन पंत की लिखी कविताएं देश प्रेम और उसके प्रति मन में बसे लगाव के लिए हुआ करती थी। भारत के कई कवि/कवियेत्रीओ की तरह उन्होंने भी कलम को आज़ादी का एक ज़रिया बनाया था। 

नव भारत,

फिर चीर युगों का तमस आवरण,

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