
हिंदी साहित्य जगत में जो स्थान मुंशी प्रेमचंद को हासिल है,वैसा स्थान और सम्मान दुर्लभ है। न केवल हिन्दी साहित्य, वरन् उर्दू में भी प्रेमचंद का साहित्य उतने ही सौंदर्य के साथ प्रकट हुआ है, वे प्रारंभ में उर्दू में नवाब राय के नाम से लिखते थे, तत्कालीन ब्रिटिश राज द्वारा उनकी रचना सोजे वतन पर प्रतिबंध लगा दिया गया,क्योंकि ये देश भक्ति से ओत प्रोत थी,इसके बाद ही उन्होंने नवाब राय के बजाय प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू किया।
मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियां उस समय की सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक दशा का इतना यथार्थ चित्रण करते हैं कि आज इतने वर्षों पश्चात पढ़ने पर भी पाठक खुद को तत्कालीन धरातल पर खड़ा पाता है। अदभुत चित्रण,मार्मिक और सटीक शब्द, हृदय की गहराईयों को छूनेवाले भाव और सूक्ष्म दृष्टि प्रेमचंद को बाकी से अलग करती है,चाहे बूढ़ी काकी हो, पूस की रात हो, कफ़न या पंच परमेश्वर हो,हर कहानी का अनोखा अंदाजे बयां है। मान सरोवर नाम से आठ भागों में कहानियों का अनोखा