
“दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया, आँखों में घर के ख्वाब का नक्शा ही रह गया” – इब्राहिम अक्स
“दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया, आँखों में घर के ख्वाब का नक्शा ही रह गया” – इब्राहिम अक्स
इब्राहिम अक्स संगीत और शायरी के जगत में एक प्रतिष्ठित और सम्मानित नाम हैं। इनका जन्म 20 जुलाई 1951 को मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में हुआ था। ये हिंदी और उर्दू के एक पत्रकार, अभिनेता और प्रख्यात शायर और फिल्म गीतकार थे, जिनका भारतीय संगीत जगत और शायरी में अद्वितीय योगदान रहा है। उनका वास्तविक नाम इब्राहम खान गौरी था। उन्होंने अपना कलम नाम इब्राहिम अक्स के तौर पर रखा था। अक्स ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के तौर पर की और बाद में वह हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध शायर और गीतकार बने। उन्होंने अपने अनमोल शब्दों से कई सुपरहिट गानों को सजाया है। उन्होंने अपनी कलम से न केवल गीतों को सजीव बनाया, बल्कि संगीत प्रेमियों के दिलों में एक स्थायी जगह भी बनाई है। अक्स ने 80 और 90 के दशक में तलत अज़ीज़, जगजीत सिंह, चंदन दास, पंकज उधास, पेनाज मसानी, अनुराधा पौधवाल, भूपिंदर मिताली और अन्य प्रसिद्ध ग़ज़ल गायकों द्वारा गाई गई 700 से अधिक ग़ज़लें लिखीं। संगीत जगत में उन्हें "कहो न प्यार है" के गीतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
उनके द्वारा लिखे हुए कुछ प्रसिद्ध शेर:
*ख़ुद अपने आप से लेना था इंतिक़ाम मुझे
मैं अपने हाथ के पत्थर से संगसार हुआ।।
*चले गए तो पुकारेगी हर सदा हम को
न जाने कितनी ज़बानों से हम बयाँ होंगे।।
*न दिल में कोई ग़म रहे न मेरी आँख नम रहे
हर एक दर्द को मिटा शराब ला शराब दे।।
कुछ प्रख्यात दोहे:
*प्यासी धरती देख के बादल उड़ उड़ जाए <