
जो बाहर की सुनता है वो बिखर जाता है, जो भीतर की सुनता है वो संवर जाता है
“जो बाहर की सुनता है वो बिखर जाता है, जो भीतर की सुनता है वो संवर जाता है”
साहित्य और इतिहास से सम्बंधित आज के दिन के कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों से सम्बंधित साहित्य और उनकी यात्राएं:
(1) दुर्गा प्रसाद खत्री (12 जुलाई,1895– 5 अक्टूबर ,1974)
दुर्गा प्रसाद खत्री हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखकों में से एक माने जाते हैं। इनका नाम हिंदी साहित्य में बड़े सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है। ये प्रसिद्ध तिलस्मी उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री के पुत्र थे। वे मुख्य रूप से तिलस्मी, जासूसी, सामाजिक और संभाव्य घटनाओं पर आधारित उपन्यास लिखते थे। तिलस्मी उपन्यासों में, उन्होंने अपने पिता की परंपरा का निर्वहन के साथ-साथ उसे बड़ी सूक्ष्मता के साथ आगे बढ़ाने का भी कार्य किया। उन्होंने हिंदी उपन्यासों के क्षेत्र में अपनी विशेष छाप बनाई, और अपनी एक अलग लीग गढ़ते हुए जासूसी उपन्यास लेखन की पहली पहलकदमी की।भूतनाथ उपन्यास की रचना देवकीनंदन खत्री द्वारा की गई थी, लेकिन उनकी आकस्मिक मृत्यु के कारण वह केवल इसके 6 भागों को ही लिख पाए। बाकी के 15 भागों की रचना दुर्गा प्रसाद खत्री द्वारा की गई थी। इसमें उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को बारीकी से उठाया है। 'प्रतिशोध', 'लापतागंज', 'सुफैल शैतान', 'कालाचोर' आदि उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं हैं।उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए हैं और आज भी उन्हें हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण रचनाकारों में गिना जाता है।
(2) मनोहर मालगोंकर (12जुलाई,1913– 14 जून,2010)
मनोहर मलगांवकर एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, इतिहासकार और पत्रकार थे। वे स्वतंत्रता के बाद के प्रसिद्ध लेखकों में से एक थे। उन्होंने मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषा में रचनाएँ लिखी और उनके उपन्यास भारतीय समाज और विभिन्न पहलुओं पर आधारित थे। उनका लेखन स्वतंत्रता संग्राम, विभाजन और भारतीय सेना के अनुभवों को प्रमुखता से उजागर करता है। मलगांवकर के लेखन की एक और खासियत थी उनकी गहन ऐतिहासिक समझ। उन्होंने भारतीय सेना के इतिहास पर भी कई महत्वपूर्ण कृतियां लिखी हैं, जैसे द बैटल ऑफ़ खेम करण और द पुश ऑफ़ डेरिंग। पत्रकारिता में भी उन्होंने काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वह डेक्कन हेराल्ड और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रमुख अखबारों में कार्यरत थे और उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज के ज्वलंत मुद्दों पर प्रकाश डाला। यह भारतीय साहित्य के उन प्रमुख स्तंभों में से एक थे जिन्होंने अपने लेख के माध्यम से भारतीय समाज, इतिहास और संस्कृति को जीवंत किया। प्रख्यात लेखक