
भारत की इस भूमि पर अनेक साहित्यकारों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने साहित्यिक योगदान से भारतीय साहित्य को समृद्ध करने का काम किया है। जिस तरह से एक कलाकार अपनी कल्पनाओं को उड़ान देने के लिए रंगों का प्रयोग करता है और उन्हें अपने अंदाज में कागज पर उकेरकर लोगों तक पहुंचाता है, ठीक उसी प्रकार से एक लेखक शब्दों को औजार बनाकर समाज की विविधता, संघर्ष और उम्मीदों को अपने लेखन में अपने अनूठे अंदाज में उकेरता है।
उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर यह आवश्यक है कि हम उनके साहित्यिक योगदान को पहचानें और उनकी गहराई को समझें। इन लेखकों ने न केवल समाज के विभिन्न पहलुओं को अपनी लेखनी के माध्यम से सामने लाया है, बल्कि उनकी रचनाएँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए हैं। उनका लेखन समय के साथ अमर हो गया है और भारतीय साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
विनायक कृष्ण गोकाक (9अगस्त,1909-28अप्रैल,1992)
विनायक कृष्ण गोकाक कन्नड़ साहित्य के एक ऐसे रत्न थे, जिनकी लेखनी ने कन्नड़ साहित्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वे आधुनिक कन्नड़ साहित्य के निर्माताओं में से एक माने जाते हैं। वे एक प्रतिभाशाली लेखक, विद्वान और शिक्