
हमारी 6 कलाकार लेखकों की जीवन से जुड़ी बातें जो आपको ज़रूर पसंद आएगी ...
1) (गीत चतुर्वेदी ).... अपने बारे में कुछ लिखना मेरे लिए बेहद मुश्किल काम है। जब कभी ऐसा अवसर आता है, मैं देर तक कंप्यूटर की ख़ाली स्क्रीन को घूरता रहता हूँ। ये अक्सर हमारे गीत चतुर्वेदी के साथ होता है जो बड़े साहित्येकारो में से एक हैं जो साहित्ये उपन्यासकार, लघुकथा लेखक और एक कवी हैं, इन्हें अवधि लेखक के रूप में भी जाना जाता है जिनका जन्म 27 नवंबर 1977 को मुंबई में हुआ। इन्होने अपने शब्दों को इतनी खूबसूरती से पिरोया कि उनके शब्दों से बनी कहानियों ने दिल छू देने वाली मिसाल बनाई। न्यूनतम मैं’ और ‘ख़ुशियों के गुप्तचर’ हिंदी की बेस्टसेलर सूचियों में शामिल रहीं। उनकी ग्यारह किताबें प्रकाशित हैं, जिनमें दो कहानी-संग्रह और तीन कविता-संग्रह शामिल हैं। गीत चतुर्वेदी की रचनाएँ देश-दुनिया की 22 भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। अब सिर्फ गीत चतुर्वेदी साब ही नहीं एक और शख्श हैं हमारे पास जिन्होंने कहा है,
2) (दिव्ये प्रकाश दूबे)..... हम सभी की पहली शादी यूहीं कभी अकेले में हो जाती है, फालतू में ही हम बैंड बाजे वाली शादी को अपनी पहेली शादी बोलते हैं ये शब्द है शब्दों के जादूगर दिव्ये प्रकाश दूबे जी के नए वाली हिंदी के नए जादूगर जिन्होंने हिंदी को पारम्परिक तरिके से हट कर लिखा और युवाओं में हिंदी के प्रति जोश पैदा करने वाला काम किया। दिव्ये प्रकाश दूबे का जन्म 8 मई 1982 को लखनऊ में हुआ। आईआईटी रुड़की ऑफ़ इंजीनियरिंग से बीटेक कर इंजीनियर साहब को शब्दों का चस्का ऐसा लगा कि "मसाला चाय" और "शर्ते लागू" जैसी किताबें लिख डाली हैं। साल 2016 में छापे अपने उपन्यास "मुसाफिर कैफे" कि बम्पर सफलता के बाद दिव्ये प्रकाश नई वाली हिंदी के पोस्टर बॉय कि तरह देखे जाने लगे।
3) (नीलोत्पल मृणाल).... ये बात रही हमारे इंजीनियर साहब कि पर और भी शख्स है जो डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस बनना चाहते हैं। भारत का एकमात्र आईएएस कारखाना मुखर्जी नगर जहाँ इंसान खुद को आईएएस ऑफिसर और कलेक्टर में ढालन चाहता है उसी जगह कदम रखता है एक सक्ख्स जो आईएएस तो नहीं बन पाए लेकिन वो हर उस इंसान के दिल में बस्तें है जो आईएएस का सपना लिए मुखर्जी नगर आते हैं यहाँ बात हो रही है मशहूर नॉवल "डार्क हॉर्स" के लेखक नीलोत्पल मृणाल की। नीलोत्पल मृणाल एक लेखक ही नहीं एक कवी, शायर, और सिंगर भी हैं और इनका जन्म 25 दिसंबर 1984 को दुमका डिस्टिक झारखण्ड में हुआ था