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एकनाथ ईश्वरन : ध्यान के आठ केंद्र

मन में चुपचाप जपने पर कोई मंत्र सबसे अधिक प्रभावी होता है !

केरल, भारत में ईश्वरण जी का जन्म हुआ। यह भारतीय विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर थे। 1959 में वह डिग्री के लिए अमेरिका में शिक्षा के लिए गए। 40 वर्षों तक ध्यान व आध्यात्मिक जीवन पर व्याख्यान दिए। 1961 में उन्होंने ब्लू माउंटेंस सेंटर ऑफ मैडिटेशन की स्थापना की, जो उनकी लिखी किताबें, वीडियो, ऑडियो, बातचीत, प्रकाशित करता और ऑनलाइन कार्यक्रम प्रदान करता है।

उन्होंने ध्यान के मार्ग में ज्ञान और पूरे दिन खुद को संचालित करने के तरीके के बीच एक गहरा संबंध पाया।

उन्होंने स्वयं के आध्यात्मिक अनुभव के आधार पर ध्यान के मार्ग को एक सरल और प्रभावी बनाने के लिए, "आठ सूत्र का कार्यक्रम " बनाया। जिसे सभी उम्र के हजारों लोग पूरी दुनिया में इस कार्यक्रम का अनुसरण करते हैं।

उन आठ सूत्रों का सारांश आपके सामने निम्नलिखित प्रस्तुत है :-

1. ध्यान : ज्ञान मार्ग का मूल ध्यान से शुरू होता है। ईश्वरण हमें एक या आधे घंटे के लिए ही ध्यान करने को कहते हैं, ना कि समय बढ़ाते रहने को। ध्यान के लिए कमरा, या स्थान निश्चित करो। एक प्रार्थना से ध्यान की शुरुआत करो जो कि इस प्रकार है —

" हे प्रभु, मुझे अपनी शांति का साधन बना।

जहां नफरत है, मुझे वहां प्यार फैलाने दो।

जहां चोट है, क्षमा करें।

जहां संदेह है, वहां विश्वास है।

जहां निराशा है, वहा आशा है।

जहां अंधेरा है, वही उजाला है।

जहां दुख है, वहा सुख हैं।

है दिव्य गुरु! यह अनुदान दे कि,

मैं इतना अधिक ना चाहूं कि मैं सांत्वना दू।

की, समझा जाऊं कि समझा जाऊं।

प्रेम के रूप में, प्यार किया जाऊ।

क्योंकि देने से ही हम प्यार पाते हैं।

क्षमा करने से ही, हमें क्षमा किया जाता है।

यह स्वयं को मरने में है कि,

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