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24 जनवरी- जन्मजयंती क्रांतिकारी पुलिन बिहारी दास जी.. काकोरी क्रान्ति की तरह "बारा क्रान्ति" के थे सूत्रधार

विस्मृत किये गए लोगो में एक हैं आज ही के दिन जन्म लेने वाले पुलिन बिहारी दास जी .. इनके द्वारा संचालित बारा क्रान्ति शायद ही किसी की जानकारी में रहा हो. यकीनन ये नाम भी आपके लिए नया होगा ..खैर बताएगा भी कौन ?? वो तो कदापि नही जिन्होंने इस बात पर अपनी मुहर लगा रखी है कि भारत की आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल मिली है और 2 या 4 लोगों ने ही इस आज़ादी को दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है .. 

उसी 2 या 4 लोगो को इतना चमकाया गया कि आखिरकार वही बन बैठे भारत भाग्य विधाता और बाकी सब के सब कर दिए गए विस्मृत..उन्ही विस्मृत किये गए लोगो में एक हैं आज ही जन्म लेने वाले पुलिन बिहारी दास जी .. इनके द्वारा संचालित बारा क्रान्ति शायद ही किसी की जानकारी में रहा हो ..

यहाँ ये ध्यान रखने योग्य जरूर है कि काकोरी और बारा के साथ क्रांति शब्द सुदर्शन न्यूज़ के इतिहास में आपको मिलेगा. वामपंथी और चाटुकार इतिहासकार इन गौरवशाली पलों को हर कहीं क्रांति के बजाय काण्ड बोलते हैं और संतोष देते हैं अपने उन आकाओं को जिनके इशारे पर उन्होंने इतिहास को विकृत किया है.

पुलिन बिहारी दास का जन्म 24 जनवरी सन 1877 को बंगाल के फ़रीदपुर ज़िले में लोनसिंह नामक गाँव में एक मध्यम-वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था. उनके पिता नबा कुमार दास मदारीपुर के सब-डिविजनल कोर्ट में वकील थे. उनके एक चाचा डिप्टी मजिस्ट्रेट व एक चाचा मुंसिफ थे. 

उन्होंने फ़रीदपुर ज़िला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए ढाका कॉलेज में प्रवेश लिया. कॉलेज की पढ़ाई के दोरान ही वह लेबोरटरी असिस्टेंट व निर्देशक बन गए थे. उन्हें बचपन से ही शारीरिक संवर्धन का बहुत शौक था और वह बहुत अच्छी लाठी चला लेते थे. 

कलकत्ता में सरला देवी के अखाड़े की सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने भी सन 1903 में तिकतुली में अपना अखाड़ा खोल लिया. सन 1905 में उन्होंने मशहूर लठियल लाठी चलाने में माहिर से लाठी खेल और घेराबंदी का प्रशिक्षण लिया. सितम्बर, 1906 में बिपिन चन्द्र पाल और प्रमथ नाथ मित्र पूर्वी बंगाल और असम के नए बने प्रान्त का दोरा करने गए. वहां प्रमथ नाथ ने जब जनता से आह्वान किया कि - 

" जो लोग देश के लिए अपना जीवन देने को तैयार हैं, वह आगे आयें."

तो पुलिन बिहारी दास तुरंत आगे बढ़ गए. बाद में उन्हें अनुशीलन समिति की ढाका इकाई का संगठन करने का दायित्व भी सौंपा गया और अक्टूबर में उन्होंने 80 युवाओं के साथ ढाका अनुशीलन समिति की स्थापना की. पुलिन बिहारी दास उत्कृष्ट संगठनकर्ता थे और उनके प्रयासों से जल्द ही प्रान्त में समिति की 500 से भी ज्यादा शाखाएं हो गयीं. 

क्रांतिकारी युवाओं को प्रशिक्षण आदि देने के लिए पुलिन बिहारी दास ने ढाका में नेशनल स्कूल की स्थापना की. इसमें नौजवानों को शुरू में लाठी और लकड़ी की तलवारों से लड़ने की कला सिखाई जाती थी और बाद में उन्हें खंजर चलाने और अंतत: पिस्तोल और रिवॉल्वर चलाने की भी शिक्षा दी जाती थी.

पुलिन बिहारी दास ने ढाका के दुष्ट पूर्व ज़िला मजिस्ट्रेट बासिल कोप्लेस्टन एलन की हत्या की योजना बनायी. 23 दिसंबर सन 1907 को जब एलन वापस इंग्लैंड जा रहा था, तभी गोलान्दो रेलवे स्टेशन पर उसे गोली मार दी गयी, किन्तु दुर्भाग्य से वह बच गया. 

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