
सितारे ज़मीन पर (2025) \ कविता, करुणा और सिनेमा का संगम
"हर बच्चा खास होता है" – इस विचार को नई ऊर्जा और विस्तार देती है आमिर ख़ान प्रोडक्शंस की फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’, जो 2007 की तारे ज़मीन पर की आध्यात्मिक उत्तरकथा मानी जा सकती है।
निर्देशन, अभिनय और संवेदना का अद्भुत संगम
आर.एस. प्रसन्ना के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक ऐसी दुनिया रचती है जहाँ सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, उन्हें जीने की प्रेरणा भी दी जाती है। आमिर ख़ान एक बार फिर एक मार्गदर्शक के रूप में नज़र आते हैं — पर इस बार उनका किरदार और भी गहराई लिए हुए है।
कहानी: उम्मीद के सितारे
फिल्म उन बच्चों की यात्रा को सामने लाती है जो समाज की नजरों में "कमज़ोर" हैं, लेकिन अंदर से ‘सितारे’ हैं। यह सिर्फ शिक्षा या सफलता की बात नहीं है, बल्कि आत्म-स्वीकृति, समावेशन और करुणा की बात है। कहानी आपको हँसाती है, रुलाती है और सोचने पर मजबूर करती है – बिलकुल एक कविता की तरह।
अदाकारी: दिल से जुड़ाव
आमिर ख़ान की भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ-साथ जेनेलिया देशमुख और युवा कलाकारों की