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मैं नीर भरी दुःख की बदली - महादेवी वर्मा

मैं नीर भरी दुःख की बदली, स्पंदन में चिर निस्पंद बसा, क्रंदन में आहत विश्व हँसा, नयनो में दीपक से जलते, पलकों में निर्झनी मचली ! मैं नीर भरी दुःख की बदली ! मेरा पग पग संगीत भरा, श्वांसों में स्वप्न पराग झरा, नभ के नव रंग बुनते दुकूल, छाया में मलय बयार पली ! मैं नीर भरी दुःख की बदली ! मैं क्षितिज भृकुटी पर घिर धूमिल, चिंता का भ
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