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बाल विनय - श्रीनाथ सिंह

बहुत मैं तुमसे पाता हूँ, तुम्हे कुछ देने लाता हूँ। सुनता हूँ हो बिना हाथ के, ले लो मेरे हाथ। उनके द्वारा जो चाहो सो, करो जगत में नाथ। माथ मैं तुम्हें झुकता हूँ, तुम्हे कुछ देने लाता हूँ। सुनता हूँ हो बिना पैर के, ले लो मेरे पैर। उनके द्वारा जब चाहो तब, करो जगत की सैर। गैर के पास न जाता हू
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