।। अंधेरों की ओट मे ।।'s image
160K

।। अंधेरों की ओट मे ।।

अंधेरों की ओट मे
उजालों की पोटली
दबे एक संदूक से
सूराख अपनी खोजती

न दर्द का सवाल है
न मर्म का हिसाब है
जरूरतों के रात मे
सुबह बेमिसाल है

रोकने से रुकती नही
टोकने की आदत नही
निःशब्द हूँ ...
अगाध मे
निरस मेरे अब शब्द है

मोह के विरक्त की
टूटती वो हर घड़ी
जो सूर्य के प्रमाण पर
विश्वास से मुँह मोड़ती

सत्य भ्रम के छाँव
Read More! Earn More! Learn More!