बहुत कुछ अधूरा
बहुत कुछ है पूरा .....।
जमाने की सीरत
बहानो के सूरत
वहम के अहम मे
सिमटता मन,
चाहे उड़ाना सतरंगी गुलाल
मगर जाने क्यूँ ?
किसी के मन मे ठहरता मलाल।
सिमटता हूँ अब यादों के झरोखों तले
सुरमयी ख्वाब कलियों से फूल बन गये
गीत स्नेहल कंठो से कोयल के फूटे
मन के गम मे खुशियों
बहुत कुछ है पूरा .....।
जमाने की सीरत
बहानो के सूरत
वहम के अहम मे
सिमटता मन,
चाहे उड़ाना सतरंगी गुलाल
मगर जाने क्यूँ ?
किसी के मन मे ठहरता मलाल।
सिमटता हूँ अब यादों के झरोखों तले
सुरमयी ख्वाब कलियों से फूल बन गये
गीत स्नेहल कंठो से कोयल के फूटे
मन के गम मे खुशियों
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