![जुमला ।'s image](/images/post_og.png)
इन दिनों चर्चा चल रही है,
देश के वीर सपूतों के बारे में।
उनकी मिट्टी के बारे में,
उनके जीवन के बारे में।
पर भूल जाते है लोग,
अपनी संस्कृति को।
आपने भाव को,
अपनी विरासत को।
वो बाते कर रहे है,
साहित्यकारों के बारे में।
उन्हें रुचि नहीं है इस प्रकथन से,
उन्हें रुचि है अपने नाम से ।
आज के समय में नाम मायने रखता है,
विचार जैसे बदल जाते है,
ठीक उसी प्रकार उनके विचार भी।
जो खोखले होते जा रहे है,
वीर के परिवारों को साल में एक बार माला पहनाकर।
फिर चले जाते है किसी वादी में,
हालात से बेबस उस परिवार की कहानी।
जो आज तक नहीं सुलझी,
शायद सुलझाया न गया।
कई दिनों देखे गए है शहीदों घर पर,
वही लोग वही अंदाज सिर्फ बोल बदले।
मिलते है लोग आजकल,
शहीदों के परिवार के घर को तोड़ने,
मिलते है आजकल लोग।
आपने धर्म की स्थापना के लिए,
जनपद का नारा लगाते।
मिलते है लोग आजकल,
हरताली मोर पर।
जहां कभी क्रांति की म