चश्म-ए-तर क्लब निकला आज मौसम-ए-गुल सुहाने में
तजकीरा महबूब का भी तो बैठा रहा इस दिल दीवाने में

जफर ये बर्ग-ए-खिजां काबिल न है अब तकल्लुफ के तुम्हारे
क्यों ढक दिया इसने वो मंजर सारा जो बनाया था हमने इक जमाने में's image
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चश्म-ए-तर क्लब निकला आज मौसम-ए-गुल सुहाने में तजकीरा महबूब का भी तो बैठा रहा इस दिल दीवाने में जफर ये बर्ग-ए-खिजां काबिल न है अब तकल्लुफ के तुम्हारे क्यों ढक दिया इसने वो मंजर सारा जो बनाया था हमने इक जमाने में

  चश्म-ए-तर क्लब निकला आज मौसम-ए-गुल सुहाने में
तजकीरा महबूब का भी तो बैठा रहा इस दिल दीवाने में

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