कौन कहता है क़सूर तेरा था
तुझसे वफ़ाएँ चाहीं, फ़ितूर मेरा था
मैं ही अनजान था तो बेद़िली भी वाज़िब थी
सज़ा मुक़र्रर थी, दिल पे ग़ुरूर मेरा था
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कौन कहता है क़सूर तेरा था
तुझसे वफ़ाएँ चाहीं, फ़ितूर मेरा था
मैं ही अनजान था तो बेद़िली भी वाज़िब थी
सज़ा मुक़र्रर थी, दिल पे ग़ुरूर मेरा था