
चुप रहूँ या बोल दूँ! प्यार करता हूँ मैं,
मैं नहीं ख़ुद में हूँ, प्यार करता हूँ मैं,
देख कर उसको हक़ में किसी ग़ैर के,
उससे कैसे कहूँ? प्यार करता हूँ मैं
इश्क़ की आग है, ख़ाक होना है तय,
अब सुलगता रहूँ, प्यार करता हूँ मैं
उसके अरमान ही ख़्वाहिशें हैं मेरी,
मेरी क्या आरज़ू? प्यार करता हूँ मैं
Read More! Earn More! Learn More!