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क्यूँ मैंने दिल लगाया था

हूँ तनहा-तनहा फिर भी, कुछ सवालों से घिरा हूँ मैं,

उसे क्यूँ आँख ने खोया, जब उसे दिल ने पाया था?


क्यूँ मैंने दिल लगाया था, क्यूँ मैंने दिल लगाया था?


जो मेरे ख़्वाब कामिल होने वाले ही नहीं थे तो,

क्यूँ मैंने ख़्वाब देखे और क्यूँ सपना सजाया था?


क्यूँ मैंने दिल लगाया था, क्यूँ मैंने दिल लगाया था?

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