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निहारती अँखियाँ....

आँखे बेपर्दा न कीजिये बाजारों में, 
दीदारे चाँद उतर आता है गलियारों में ।।
प्रारब्ध मुकम्मल हो उन्हें हर दुआओं में, <
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