
है तेरे सपने
किसी और की
ख़ातिर तो क्या
मैंने तो तुझे ही
ख़्वाबों में संजोया है
है तेरी ख्वाहिश
किसी और की
ख़ातिर तो क्या
मैंने तो तुझे ही
अरमानों में सजाया है
है तेरा साथ
किसी और की
ख़ातिर तो क्या
मैंने तो तुझे ही
हमसफ़र बनाया है
Read More! Earn More! Learn More!