![कितनी ही बूढ़ी आँखों को उन अपनो के साथ की देरी थी।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kapileshwar-singh/None/1652936942877_19-05-2022_11-24-00-AM.jpg)
कितनी बूढ़ी आँखों को उन अपनो के साथ की देरी थी।
बेह चली याद करके कभी एक सी उनग्लियां इन अपनो पे फेरी थी ।
क्या पता था वक्त सी भड़ती इच्छाओ पे लड़ पड़ेंगे ये जमीन तेरी ये मेरी थी।
उन माँ बाप की छो
Read More! Earn More! Learn More!
कितनी बूढ़ी आँखों को उन अपनो के साथ की देरी थी।
बेह चली याद करके कभी एक सी उनग्लियां इन अपनो पे फेरी थी ।
क्या पता था वक्त सी भड़ती इच्छाओ पे लड़ पड़ेंगे ये जमीन तेरी ये मेरी थी।
उन माँ बाप की छो