
अचानक वो नज़र आया, चुपचाप, बेआवाज़ सा,
जैसे अपने ही घर में कोई मेहमान बन के आया सा।
डरा तो सब था, पर जुबान मेरी सबसे तेज़ चली,
"मार डालो!" — कह दिया, सोच की दीवार वहीं ढह चली।
ना उसने फुफकार
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अचानक वो नज़र आया, चुपचाप, बेआवाज़ सा,
जैसे अपने ही घर में कोई मेहमान बन के आया सा।
डरा तो सब था, पर जुबान मेरी सबसे तेज़ चली,
"मार डालो!" — कह दिया, सोच की दीवार वहीं ढह चली।
ना उसने फुफकार