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यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है - कामिनी मोहन।

यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुत
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