![यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है - कामिनी मोहन।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kaminimohanjournalist/None/1657770393607_14-07-2022_09-16-37-AM.png)
यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुत
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हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
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