"शायद"- कामिनी मोहन।'s image
132K

"शायद"- कामिनी मोहन।

हक़ है नदी को समंदर के पास
इच्छानुसार लौटने का
हक़ है सब व्रत तोड़कर
प्रेम को प्रेम के व्रत में रखने का
हक़ है रात होने पर चमकते प्रकाश को भी
थककर गहरी नींद में सो जाने का।

ऐसी नींद, जिसमें सपने भी सो गए हो
अर्ज़ियाँ पोटलियों में बंद हो गए हो
फ़ुरसत में चहलक़दमी रूक गए हो
ताज़गी के रंज-ओ-ग़म मिट गए हो
हक़दारों के चेहरे पर
क़हक़हे बरस गए हो
ख़ुशी के
Read More! Earn More! Learn More!