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प्रेम का सारांश- कामिनी मोहन।

रवाज़े पर कोई नई दीवार
खड़ी थीं।
नये दरवाज़े रास्ते बदल चुके थे। 
उस पर कुछ छायाएँ
कुछ बाहर कुछ भीतर खड़ी थीं।


अब तक

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