ख़्याल द्रुत हो या कि विलंबित,
सुने हम हर्षनाद निनाद हर कहीं।
सुरभित वसंत न हो खण्डित,
धवल पुष्प व्यापित हो हर कहीं।
रंजित वर्जित कुछ भी हो भले कहीं,
जीवन रुके नहीं चलता रहे हर कहीं।Read More! Earn More! Learn More!
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सुने हम हर्षनाद निनाद हर कहीं।
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धवल पुष्प व्यापित हो हर कहीं।
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