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ख़ुद आईना भी - कामिनी मोहन।

ख़ुद आईना भी यहाँ अपना वजूद देख नहीं सकता
खो जाता है यूँ ख़ुद में कि ख़ुद को ढूँढ़ नहीं सकता।

प्रेम है कुछ ऐसा जो कभी क्षुब्ध हो नहीं सकता
हैं ये गहरा आकाश जिसका किनारा हो नहीं सकता।
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