
कविता सतत् प्रक्रिया जैसे
पोषण की ही सोचती है।
जीवन की गति को चलायमान रखने को
दूर बहुत दूर तक जाकर वापस लौटती हैं।
यह साँसों के संसार में
नित घटते व्यापार में
बस मुनाफ़ा कमाना चाहती है।
पोषण की ही सोचती है।
जीवन की गति को चलायमान रखने को
दूर बहुत दूर तक जाकर वापस लौटती हैं।
यह साँसों के संसार में
नित घटते व्यापार में
बस मुनाफ़ा कमाना चाहती है।
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