कर्म करके चीज़ों की दिलचस्पी को बनाएँ रखना ख़तरनाक - © कामिनी मोहन पाण्डेय।
कर्म करके चीज़ों की
दिलचस्पी को बनाएँ
रखना ख़तरनाक
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
कर्म का कुछ न कुछ परिणाम अवश्य होता है। कोई भी कर्म निष्फल नहीं होता है। निष्काम कर्म का उपदेश यही है कि फल की आशा छोड़कर कर्म किया जाए। मनुष्य की हालत यह है कि वह परिणाम की इच्छा के बग़ैर कोई कार्य कर नहीं पाता है। स्वाभाविक इच्छा तो अवश्यंभावी है और आवश्यक भी है। लेकिन निषेध उस आसक्ति का है, जिसके लोभ में कार्य प्रणाली के गुण-दोषों की ओर देख आँखे बंद हो जाती है।
शास्त्रोक्त वचन
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