कालजयी होने के लिए
संग्रहालय के शो-केस तक पहुँचने के लिए
लंबा इंतज़ार करना पड़ता है
इसके लिए सिर्फ़ दिन, महीना, साल नहीं
सदियों और कई बार युगों तक धैर्य रखना पड़ता है
पाँव को अडिग रखते हुए दर्द सहना पड़ता है।
काल के अनंत प्रवाह में
चोट खाकर क्षत-विक्षत होने पर भी
तमाम कोशिशों के उपेक्षित होने पर भी
शिलालेख पर लिखे को मिटने नहीं देना होता है।
एक साथ सुख और दुख को
एक ही चेहरे पर लौट कर आना होता है।
जैसे प्रेम, दया, सहानुभूति
और समर्पण में पिघलने के लिए
कोई अनगिनत व्यंजना या रूपक
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संग्रहालय के शो-केस तक पहुँचने के लिए
लंबा इंतज़ार करना पड़ता है
इसके लिए सिर्फ़ दिन, महीना, साल नहीं
सदियों और कई बार युगों तक धैर्य रखना पड़ता है
पाँव को अडिग रखते हुए दर्द सहना पड़ता है।
काल के अनंत प्रवाह में
चोट खाकर क्षत-विक्षत होने पर भी
तमाम कोशिशों के उपेक्षित होने पर भी
शिलालेख पर लिखे को मिटने नहीं देना होता है।
एक साथ सुख और दुख को
एक ही चेहरे पर लौट कर आना होता है।
जैसे प्रेम, दया, सहानुभूति
और समर्पण में पिघलने के लिए
कोई अनगिनत व्यंजना या रूपक
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