कहने तक
-© कामिनी मोहन।'s image
403K

कहने तक -© कामिनी मोहन।

कुछ तलाश करते
हम सब चल रहे।
चलते-चलते
बंद रास्ता दिखे तो
रास्ता बदलकर आख़िर तक
चलने की कोशिश कर रहे।

हैं जो रूके हुए
वे भी साँसों की आवाज़े सुन रहे।
हैं छायाएँ ख़ाली पर
सरसराहटों को बुन रहे।

चले या रूके
अंततः सब ख़ारिज स्मृतियाँ
यूँ ही पड़े-पड़े
काग़ज़ों के बोझ में बदल जाएँगी।
गुज़रे लोगों की
भावुकतापूर्ण समीक्षाएँ
जो कुरेदी
Read More! Earn More! Learn More!