बरसे बग़ैर जो घटा आगे बढ़ी
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बरसे बग़ैर जो घटा आगे बढ़ी - © कामिनी मोहन।

मौसम विभाग रुत के बदलने और
बरसने की सूचना दे रहा।
पर मेघों का घना समूह
बस एक के पीछे एक चलता जा रहा।

जैसे काग़ज़ पर लिखा हुआ
घटित होता नहीं
वैसे ही काले मेघ झूठे लगने लगते हैं, ऐसे जैसे
उमस में पसीने से तर-बतर कोई हो नहीं रहा।
जैसे सावन हो या कि भादो
बरसने का नाम नहीं ले रहा।

सावन सूखा रहे और
ख़ुद को बारिश में भीगा हुआ कह दे।
भादो और आषाढ़ तपता रहे और
सिर्फ़ नाम के कारण
सब अघटित को घटित कह दे।

नहीं, घनघोर घटा का स्वप्न में हमला
देह
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