बाहर निकलती कविता - कामिनी मोहन।'s image
352K

बाहर निकलती कविता - कामिनी मोहन।

सारे के सारे
अविशुद्ध शब्दों के बीच
भावना का ज्वार
जैसे मायावी
जैसे बंद कमरे से
Read More! Earn More! Learn More!