
आधी रात के आँसू
-© कामिनी मोहन।
पल में जीते हैं
पल में मरते हैं,
एकांत की तरह
आदत बन चलते हैं।
परछाइयों में अकेले
मूक संघर्ष के मेले,
सूखी नदी की तरह
रेखाएँ बुनते हैं।
अंधेरे के निकट
आत्मा के उजाले हैं,
रहस्य छुपाकर
चुपचाप से बोलते हैं।
आधी रात के आँसू
धाराओं में बहते हैं,
अप्रकट आशंकाओं की
कहानियाँ सुनते हैं।
अहिंसक
-© कामिनी मोहन।
पल में जीते हैं
पल में मरते हैं,
एकांत की तरह
आदत बन चलते हैं।
परछाइयों में अकेले
मूक संघर्ष के मेले,
सूखी नदी की तरह
रेखाएँ बुनते हैं।
अंधेरे के निकट
आत्मा के उजाले हैं,
रहस्य छुपाकर
चुपचाप से बोलते हैं।
आधी रात के आँसू
धाराओं में बहते हैं,
अप्रकट आशंकाओं की
कहानियाँ सुनते हैं।
अहिंसक
Read More! Earn More! Learn More!