
दूसरों के सामने निर्विचार से दिखने वाले दरअसल मानवीयता के दर्पण की तरह होते हैं। धर्म परंपरा और मान्यता की कवच से लैस स्वतंत्र तथा सतत् मंत्रमुग्ध बने रहते हैं। उनमें होता है उड़ने का हौसला। उड़ने में ख़तरे तो बहुत है, उन ख़तरों से बच गए तो ठीक है, न बचे तो हँसी में टालकर फिर से उड़ने का दम भरते हैं।
स्नेह का अभाव हर शख़्स को खटकता है। जो शीतलता, ममता या मधुरता के दुलार से निशब्द-सी शांति मिलती है। वह अभिमान के छलावे से नहीं मिलती। अंधकार में किसी मैदान, जंगल, आकाश में अर्धवृत्त, आनंद नीलिमा और सवेरा होने से पहले प्रकृति के क्षण-क्षण बदलते रूप के दर्शन होते हैं। यह दर्शन न तो घनी अंधेरी रात में और न तो दिन के उजाले में संभव है। लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं और पहचान के विपरीत जाना वर्जनाओं को तोड़ना है। क्योंकि यह मान्यताओं परंपराओं और संस्कृति का पर्याय होती है। अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है, और सबसे ख़राब अनुभव हमें सबसे अच्छा सबक सिखाते हैं।