![245.अव्यक्त भावनाएँ
- कामिनी मोहन।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kaminimohanjournalist/None/1682055464755_21-04-2023_11-07-54-AM.png)
परिणामों से बेख़बर
आश्चर्यचकित करता हुआ
ज़्यादातर दिनों में
टूटे-फूटे अक्षरों से शुरू होकर
बेमेल स्नेह और संघर्ष का परिणाम लिए हुए
अनियंत्रित पर
पहला और आख़िरी पुनर्निर्माण करते हुए
भीतर ही भीतर सृजित होते हुए
सारा जादू भाषा पर निर्भर है।
एक ज़िंदा निरंकुश कल्पना
स्वयं के प्रतिबंधों से
दमन को दरकिनार करते हुए
एक सम्मोहक छवि
और कुछ विचार पकड़े हुए
नहीं पड़ता कोई फ़र्क
अनिश्चितता से
आश्चर्यचकित करता हुआ
ज़्यादातर दिनों में
टूटे-फूटे अक्षरों से शुरू होकर
बेमेल स्नेह और संघर्ष का परिणाम लिए हुए
अनियंत्रित पर
पहला और आख़िरी पुनर्निर्माण करते हुए
भीतर ही भीतर सृजित होते हुए
सारा जादू भाषा पर निर्भर है।
एक ज़िंदा निरंकुश कल्पना
स्वयं के प्रतिबंधों से
दमन को दरकिनार करते हुए
एक सम्मोहक छवि
और कुछ विचार पकड़े हुए
नहीं पड़ता कोई फ़र्क
अनिश्चितता से
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